Saturday, April 2, 2011

मज़ेदार नहीं रहा ये "गेम"


आखिर हफ्तों से चल रहा हिंदी फिल्मो का सुखा इस हफ्ते ख़त्म हुआ |बॉक्स - ऑफिस पर फालतू और गेम ने दस्तक दी । अभिनव देव द्वारा निर्देशित और रितेश सिधवानी ;फरहान अख्तर द्वारा निर्मित फिल्म गेम आधारित है एक मर्डर मिस्ट्री पर जिसमे चार अलग -अलग व्यक्ति नील मेनन (अभिषेक बच्चन ) पी . रामसे (बोमन ईरानी ) विक्रम कपूर ( जिम्मी शेरगिल ) तिषा खन्ना ( शाहाना गोस्वामी ) फंसे है। फिल्म की शुरवात कबीर मल्होत्रा (अनुपम खेर )के एक लेटर से होती है जिसके जरिये वह इन चारो को अपने प्रायवेट द्वीप पर बुलाता है और उसी द्वीप पर अजीब हालत में अनुपम खेर की मौत हो जाती है इस मौत की जांच ऑफिसर सिया अग्निहोत्री ( कंगना रानावत) कर रही है जो यह मानने को तैयार नहीं कि कबीर ने आत्महत्या की है बस यहाँ से शुरू होती है चोर- पुलिस की कहानी जो नए नए मोड़ लेती हुए अंत तक पहुच जाती है ।
'गेम' के बारे में खास कहने को कुछ भी नहीं है न तो पटकथा में कसावट है न ही निर्देशन में पकड़ । फिल्म पूरी तरह से बिखरी -बिखरी नजर आती है । फिल्म का मुख्य आधार क्या है यह जानने की कोशिश दर्शक हर १५ मिनिट में करता है । फिल्म की गति पूरी तरह से मंद है ,इंटरवल के बाद फिल्म में थोड़ी बहुत जो गति और मजा आता है वो भी अभिषेक बच्चन को महामंडित करने के चक्कर में ख़राब हो जाता है ।

गीत - संगीत में जावेद अख्तर और शंकर -एहसान - लाय ने निराश किया है । अभिनय के बारे में कहने के लिए फिल्म में जगह ही नही बनाई गयी । कुल मिलकर पूरी फिल्म निराश करती है । फिल्म 'गेम 'को अब्बास मस्तान की' रेस' की तरह मोड़ देने की कोशिश में अभिनव देव न इधर के रहे न उधर के । इस फिल्म के लिए तो यही कहा जा सकता है की क्रिकेट का गेम ज्यादा दिलचस्प है उसी पर नजर गड़ाई रखी जाये तो बेहतर है, क्योकि IPL की पिक्चर अभी बाकि है ।