Friday, June 10, 2011

हर इसानं में छुपे शैतान की कहानी कहती है फिल्म ‘‘shaitan ‘‘



‘‘बुरे काम का बुरा नतीजा‘‘ ये कहावत बडे -बुजुर्गो ने बडी सोच समझ कर बनाई है। पर ये कहावत सिर्फ कहने से समझ में आ जाए ये जरुरी नही इसीलिए हर कोइ ठोकर खा कर ही सिखता है और इसी ठोकर की कहानी को एक नए अदांज में पिरोया है -निर्माता अनुराग कष्यप और निर्देषक बिजाॅय नाम्बियार ने फिल्म शैतान में।

शैतान कहानी है पाॅच दोस्तो की, जो बिगडे. हुए नौजवान है ।ये नोजवान सिर्फ मस्ती के लिए चैरी करतें है, रात तक शराब, सिगरेट,ड्रग्स में डुबे रहतें है ।पेट और जिस्म दोनो की भूख मिटाते है । उनके लिए दुनियादारी कोइ मायने नही रखती ,नीति नियम कोइ मायने नही रखते।इन सब दोस्तो की निजी जिदंगी की भी कुछ दिक्कते है जिसको भुलने के लिए वो बस अपनी मस्ती मे खोये रहते है । एक दिन पाँचो नषे में रात को एक एक्सिडेन्ट कर देते है जिसमें दो व्यक्तियों की मौत हो जाती है अपनी इस गलती को छुपाने कें लिए वो गलती पर गलती करते और इनके अन्दर का शैतान और उग्र होता जाता है । दोस्ती का मतलब भरोसा बताने वाले ये दोस्त एक -दुसरे पर ही वार करने लगतें है । फिल्म हर इसांन में छिपे डर, गुस्से,कमजोरी , अकेलेपन,और इनसे उपजी हैवानियत को बताती हैै और उसमें छुपे सन्देष को भी सम्प्रेषित करती है ।

फिल्म वैसे तो हर किरदार की अलग कहानी कहती है पर फिल्म का मुख्य किरदार एम्मी(कल्की कोचलिन) रहती है जो फिल्म की भुमिका को भी निभाती है फिल्म में राजीव खन्डेलवाल (आमिर फेम) का भी शानदार रोल है। इसके अलावा बाकि सारे किरदार षिवपडिंत(फिल्म में दुष्यंत साहू उर्फ डेष) नील भोपालम (फिल्म में जुबिंन श्राफ ) किर्ती कुलहारी( तानिया शर्मा) का भी काम अच्छा है।

इस फिल्म की सबसे बडी खुबी इसका धमाकेदार सगंीत और उस संगीत का फिल्म में किया गया खुबसुरती से उपयोग है । प्रषंात पिल्लइ ,रजींत बारोट की जोडी ने कमाल का काम किया और उस कमाल के काम को निर्देषन के जरिये बेहतरीन पकड. दी है बिजाॅय नाम्बियर ने । काला बाजारा फिल्म के प्रसिद्व गाने खोया -खोया चाॅद का जो उपयोग किया है वो अप्रत्यक्ष रुप से बहुत कुछ कह जाता है ।तकनिकी तौर पर फिल्म कही से भी कमजोर नही ,कैमरा मुवमेन्ट का बेहतरीन उपयोग कई बार आपकी पलके नही झपकने देता। फिल्म की कहानी एकदम नयी नवेली नही है पर प्रस्तुतीकरण उसे नया रगं रुप दे दिया है।

अनुराग कष्यप का कहानी कहने का अपना एक तरिका रहा है। भले ही वह फिल्म के निर्माता रहे या निर्देक वह तरिका उनकी फिल्मो में नजर आता है। यह फिल्म भी उसी तरीके की पैदाइष है ।फिल्म में खास तौर पर युवा वर्ग को टारगेट किया है । उन्हे ये फिल्म जरुर पंसद आएगी क्योकि भले ही यह फिल्म का प्रभाव कुछ भी हो यह आपको थियेटर हाल में बोर नही होने देगी इस बात की पूरी ग्यारन्टी है। ................................ आपके सुझावों के इंतजार में लकुलीश

1 comment:

  1. Har kisi k andar ek Shaitaan Chupa hai....kabhi na kabhi wo bahar zarur aata hai......acccha review hai bhai

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