Friday, June 17, 2011

भेजाफ्राय-2" हर चमकती चीज सोना नही होती।"


2007 में एक छोटे बजट की फिल्म रिलीज हुई जिसमें न तो कोइ बडी स्टार कास्ट थी और न ही कोइ आइटम नम्बर मतलब सफलता के प्रचलित तरिको में से कुछ नही। पर इस फिल्म ने जम के कमाई की और हिन्दी सिनेमा में न्यु लाईन सिनेमा , स्माल वन्डर सिनेमा का जुमले का नया राग छेड.ा जिस पर आज धडाधड फिल्में बन रही है। 2007 की उस फिल्म का नाम था भेजा फ्राय।निर्देशक सागर बल्लेरी और निर्माता मुकुल अरोरा नें कोशिश की है फिर उसी सफलता कों दोहराने की अपनी फिल्म भेजा फ्राय -2 में ।

फिल्म भेजा फ्राय 2 में भारत भूषण (विनय पाठक ) को एक गेम शो जीतनें पर शिप पर जाने का मौका मिलता है ।उस क्रुज पर भारत भूषण के साथ होती है उसका प्यार रंजनी( मनीषा लांबा) टी.वी सिरियल की पुरी टीम और मशहुर उघोगपती अजीत तलवार (के.के.मेनन) जिनकें यहा इन्कमटेक्स की रेड पड.नी होती है ।वह भारत भूषण को रेड के लिए आया इस्पेक्टर समझ कर उसके पीछे लग जाता है बस यहाॅ से शुरु होता है हसँने हसाँनें का सफर जिसमें कुछ मजेदार घटनाएँ हैं , पूराने हिन्दी गानो की गुनगुनाहट है और भारत भूषण का वही पुराना जाना पहचाना अदंाज है।

फिल्म भेजाफ्राय -2,भेजाफ्राय-1 का सिक्वेल जरुर है पर इसमें वो बात नही है जो भेजाफ्राय -1 मे थी ।फिल्म की कई कमजोर कडीयाँ है जैसे फिल्म की शुरुवात बडी उबाउ है जिसमें हर किरदार को स्टेबलिश करने का जरुरत से ज्यादा प्रयास किया है जो अनावश्यक है।फिल्म की स्क्रिप्ट कहीं-कहीं पर लचीली हो जाती है।भेजाफ्राय-1 में जहाँ कामेडी परिस्थितियों से निकल कर आती है वहीं इस फिल्म में कामेडी कुछ परिस्थितियों पर जबरन थोपी हुई लगती है।अभिनय में के.के.मेनन और विनय पाठक को छोडकर कोई भी किरदार प्रमावित करने में सफल नही रहता।गीत संगीत में कोई खास बात नही है।निर्देशन भी औसत दर्जे का है।

इतनी कमजोरीयों कें बावजूद भी फिल्म में मस्ती है ,हँसी-ठहाके है, साफ-सुथरा मनोरंजन है। यानि सिर्फ कामेडी के नजरिये से फिल्म निराश नही करती पर यदि इसकी तुलना भेजाफ्राय-1 से की जाए तो यही बात याद आती है कि हर चमकती चीज सोना नही होती।

2 comments:

  1. Sahi kaha....bas public keechne k liye sequel bana dete hai.....aur hota kuch nahi hai film mein

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  2. आपका ब्लाग देखा, आपका प्रयास अच्छा है किन्तु इस पर फालोअर्स की कमी पाठकवर्ग की कमी का आभास दिलवाते हुए एक प्रकार के अधूरेपन का अहसास भी करवा रही है । यदि आप चाहें तो हिन्दी ब्लाग नजरिया पर ब्लागिंग विधा को आगे बढाने में उपयोगी पोस्ट्स का वाचन करें और यदि इस ब्लाग सामग्री को अपने उपर्युक्त समझें तो निरन्तर इसके सम्पर्क में बने रहने के लिये इसे फालो भी करें । इसीके साथ अपने स्वयं के, परिवार व मित्रों के अनावश्यक चिकित्सा खर्च को बचवाते हुए शरीर स्वास्थ्य के लिये उपयोगी सामग्री का चुनाव करने हेतु दूसरा ब्लाग स्वास्थ्य-सुख भी देखें । कहना आवश्यक नहीं है कि यदि आप निकट भविष्य के लिये उपयोगी समझें तो इसे भी फालो अवश्य करें । धन्यवाद सहित...
    नये ब्लाग लेखकों के लिये उपयोगी सुझाव.
    बेहतर स्वास्थ्य की संजीवनी- त्रिफला चूर्ण

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