Friday, June 24, 2011

डबल धमाल में कुछ भी डबल नही ।





जब किसी सुपरहिट फिल्म का सिक्वेल बनता है तब दर्शको की उम्मीद बड. जाती है और यही उम्मीद शुरवाती भीड. भी लाती है।पर यदि डबल धमाल जैसे सिक्वेल बनने लगें तो दर्शको की उम्मीद पर घडो से पानी फिर जाता है।

फिल्म डबल धमाल में न तो धमाल जैसी स्क्रीप्ट है, न ही वैसी रियल सिचुएशन और न ही वैसी उम्दा काॅमेडी ।पूरी फिल्म चुहे-बिल्ली का खेल नजर आती है। हर किरदार बस किसी न किसी के पीछे भाग रहा है।इस भागमभाग में न तो कोई सस्पेन्स है और न ही कोई कोई कौतुहल ।पूरी फिल्म में एक बार भी मन में यह विचार नही आता कि अब क्या होने वाला है।अशरद वारसी और जावेद जाफरी का बेजोड अदांज चेहरे पर कुछ हॅसी तो जरुर लाता है पर यह हॅसी किसी लाफ्टर शो के लतीफे जैसी होती है जो कुछ ही देर में गायब हो जाती है।एक्टीगं के नाम पर फिल्म के हर किरदार ने सिर्फ ओवर-एक्टींग ही की है। अशरद वारसी और जावेद जाफरी ही थोड़े संतुलित नजर आतें है

फिल्म की कहानी वहीं से शुरु होती है जहाँ धमाल खत्म हुइ थी ।चारो दोस्त आदि(अशरद वारसी ) बोमन (आशिष चौधरी ) मानव (जावेद जाफरी ) और राॅय(रितेश देशमुख) कड.कें है और अमीर बनने का रास्ता खोज रहे है । उन्हे पता चलता है कि कबीर(संजय दत्त) काफी अमीर बन चुका है तब यह कबीर के पीछे लग जाते है ओर उसे मजबुर करते है कि वो इन्हे अपना पाटनर बना ले ।कबीर इनकी बात मान लेता है और मोका देखकर सारे पैसे लेकर मकाउ भाग जाता है। यह चारो भी मकाउ पहुचॅ जाते है और कबीर को बर्बाद करने की कसम लेते है ।यह कसम कहाँ तक कामयाब होती है बाकि की पुरी फिल्म में यही दिखाया गया है। फिल्म का गीत संगीत पक्ष थोड़ा बेहतर है , जलेबी बाई, ओए ओए और फिल्म का टाइटल ट्रेक डबल धमाल जल्द ही जबान पर चढ. जाते है।

इस फिल्म के अतं मे निर्देशक इंद्रकुमार ने फिल्म के तीसरे भाग की धोषणा अप्रत्यक्ष रुप से तो कर दी है यदि इसी तरह के नए नए सिक्वल बनते रहे तो फिर दर्शको को सावधान होने की जरुरत है क्योकि सिर्फ रेपर अच्छा होने से सामान भी अच्छा हो इस बात की कोइ ग्यारन्टी नही है।इसलिए सौदा जरा ठोक बजाकर किया जाए तो ही बेहतर है।

2 comments:

  1. sahi kaha lakulish...the entire star cast and the script was too irritating for me...
    According to me,I will rate 1 star for this movie...

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  2. I think the first part was overrated too. There are far better comedy movies than dhamaal.

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