Saturday, January 8, 2011
no one killed jesica ;जेसिका को किसी ने नहीं मारा, यही खबर थी देश के प्रमुख अखबारों में जेसिका लाल हत्या काण्ड के सन्दर्भ में । एक सनसनीखेज़ हत्या कांड जिसमे करीब ३०० लोगो की मोजुदगी में मनु शर्मा ने ड्रिंक न देने की बात पर मॉडल जेसिका लाल की गोली मार कर हत्या कर दी| परन्तु अदालत में गवाहों के मुकर जाने पर मनु शर्मा छुट गया । मीडिया द्वारा तुल पकड़ने पर यह केस फिर से खुला और हाई कोर्ट में मनु शर्मा को उम्र कैद की सजा हुई । इसी सत्य घटना पर आधारित है फिल्म "नो वन किल्ड जेसिका "
फिल्म में कहानी यही सिलसिला बयां करती है पर थोडा फ़िल्मी अंदाज में , फिल्म की शुरवात में यह साफ़ कर दिया गया है की यह फिल्म सत्य घटना पर केद्रित है परन्तु वृतचित्र (documentary) नहीं इसलिए फिल्म में नाटकीय तत्व है। यह कहना लाजमी है की फिल्म में थोड़ी बहुत नाटकीयता जो निर्देशक राजकुमार गुप्ता ने कायम की है वो फिल्म के हिसाब से जरुरी भी है ।
फिल्म मुख्यतः जेसिका की बहन सबरीना (विद्या बालन ) और रिपोर्टर मीरा (रानी मुखर्जी ) पर केन्द्रित है । फिल्म में सबरीना जहा घरेलु और सीधी -साधी लड़की है |वही मीरा एक तेज तर्राट ,बातो में अपशब्दों का प्रयोग करने वाली और किसी से न डरने वाली रिपोर्टर के किरदार में है । फिल्म में इन दोनों अभिनेत्रियों का काम काबिले तारीफ है न कोई कम न कोई ज्यादा ;दोनों ने अपने किरदार को पूरी तरह से जिया है
पटकथा ,डायलाग और निर्देशन की बागडोर राजकुमार गुप्ता के हाथ में है | "आमिर " फेम राजकुमार गुप्ता ने दर्शको को निराश नहीं किया , फिल्म की कहानी इंटरवल के पहले थोड़ी धीमी है पर इंटरवल के बाद दर्शको को पलक झपकने का मोका नहीं मिलता । म्यूजिक निर्देशक के तौर पर देव डी और आयशा फेम अमित त्रिवेदी का बेहतरीन काम है । अमित की धुन पर अमिताभ भटाचार्य ने बोलो को बुनकर अच्छे गाने बनाये गए है । संपादन के काम को आरती बजाज ने एक बार फिर अच्छे से निभाया है । यानि बालिवूड में नए साल की अच्छी शुरवात ।
एक बात यहाँ कहना जरुरी है की थोड़े दिन पहले आई फिल्म पीपली लाइव ने जहा मीडिया के नकारात्मक पहलु को उजागर किया था वही यह फिल्म मीडिया के सकारात्मक पहलु से रूबरू कराती है । दोनों ही फिल्म में मुद्दे की बात सिर्फ इतनी है कि -व्यावसायिकता और टी.आर.पी की भूख को सही मुद्दों से शांत करना चाहिए या बेबात की खबरों से । इस बात को एक अच्छे प्रस्तुतीकरण के साथ बयां करने के लिए राजकुमार गुप्ता की पीठ जरुर थपथपाई जानी चाहिए ।
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Very well said !!
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