Saturday, August 21, 2010

"लफंगे परिंदे " प्रदीप सरकार का एक औसत प्रयास


फिल्म 'लफंगे परिंदे' यशराज बेनर द्वारा निर्मित और प्रदीप सरकार द्वारा निर्देशित एक हल्की-फुल्की मनोरंजन फिल्म है | यह मूलतः एक प्रेम कहानी है | फिल्म में नंदू(नील नितिन मुकेश ) एक बोक्सर है जो आंख पर पट्टी बांध कर सिर्फ आवाज सुन कर बोक्सिंग करता है और एक ही वार में अपने प्रतिद्वंदी को चित कर देता है| वंही पिंकी(दीपिका पादुकोण ) शापिंग माल में काम करने वाली एक लड़की है जो स्केट -डांसिंग के जरिये नाम कमाना चाहती है |एक हादसे में पिंकी की आँखों की रौशनी चली जाती है तब नंदू पिंकी की हालत के लिए खुद को जिम्मेदार मानता है , वह पिंकी को आवाज के जरिये जीना सिखाता है और उसके सपने को पूरा करने में उसकी मदद करता है|बस फिर दोनों के बीच प्यार पनपने लगता है जो फिल्म को क्लायमेक्स तक ले जाता है |

एक अच्छा कांसेप्ट होने के बावजूद फिल्म की पटकथा कमजोर है |अभिनय के मामले में दीपिका पादुकोण का काम काबिलेतारीफ है , वंही नील नितिन मुकेश थोड़े कमजोर नजर आये है | अभिनय के तराजू पर दर्शको को पियूष मिश्रा(गुलाल फेम ) से काफी उम्मीदे थी ,परन्तु निर्देशक ने न जाने क्या सोच कर पियूष मिश्रा की अदाकारी का उपयोग ही नहीं किया | फिल्म का संगीत अवश्य कर्णप्रिय है ,स्वानंद किरकिरे द्वारा लिखे गए गानों के बोल भी अच्छे बन पड़े है |प्रदीप सरकार की पहली दोनों फिल्मो ( परिणीता और लगा चुनरी में दाग ) के मुकाबले 'लफंगे परिंदे' कमतर ही लगती है|फिल्म में संपादन और बाकि पक्ष कहानी के मुताबिक ठीक -ठाक कहे जा सकते है |

कुल मिलकर लफंगे परिंदे एक औसत फिल्म है जिसे आराम से पोपकोर्न खाते हुए देखा जा सकता है परन्तु अब
देखना यह है की एक हफ्ते पहले रिलीज़ हुई आमिर खान प्रोडक्शन की 'पीपली लाइव ' 'लफंगे परिंदे' की टिकिट खिड़की को कितना प्रभावित करती है |


आपके सुझावों का इंतजार रहेगा ............................................................लकुलीश शर्मा

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