"मोहिनी सूरत दिल के खोटे
नाम बड़े और दर्शन छोटे"
पिछले हफ्ते की दो बड़ी फिल्मो को देख कर बस भगवान् दादा का यह गाना ही याद आता है। पिछले हफ्ते रिलीज हुई आक्रोश अच्छी पटकथा होने के बावजूद कमजोर निर्देशन की भेट चढ़ गयी वही इस हफ्ते रीलिज रक्त-चरित्र का हाल भी कुछ एसा ही है या फिर यु कहे की इससे भी बदतर है ।
रक्त -चरित्र में चरित्र नहीं है सिर्फ रक्त ही रक्त है पूरी फिल्म में दिखाई देता है सिर्फ खून ,खून , और खून । पटकथा के नाम पर दो परिवारों की लड़ाई है जो बाद में जातिगत लड़ाई बन जाती है । और पूरी फिल्म में बस मारा मारी होती रहती है । फिल्म देख कर एसा लगता है की मानो ये कोई वृतचित्र( documentry) है जो यह जानकारी देती है की इंसान को कितने तरीको से मारा(क़त्ल किया) जा सकता है ।
फिल्म की शुरवात होती है आनंदपुर गाव की भूमिका से जिसमे वह फैली गुंडागर्दी को background voice के साथबताया जाता है की यह फिल्म सत्य घटना पर आधारित है परन्तु फिल्म में दिखाए गए द्रश्यो से आतिरेक की गंध आती है ।
फिल्म में प्रताप रवि (विवेक ओबेरॉय ) एक पिछड़ी जाती का पड़ा लिखा और समझदार नौजवान है जिसके पिता को राजनेतिक हथकंडो के तहत मार दिया जाता है जिसका बदला प्रताप रवि लेता है फिल्म में शत्रुघ्न सिन्हा एक नेता- अभिनेता के शिवा जी के रोल में है जिसकी एक राजनेतिक पार्टी है आगे जाकर वह प्रताप रवि को raajniti में लाने के लिए प्रस्त्भूमि बनाता है । फिल्म के अंत में प्रताप रवि का वर्चस्व बाद जाता है और फिल्म क्रमश : पर ख़त्म हो जाती है फिर दर्शको से आग्रह किया जाता है की आगे क्या होगा यह जानने के लिए देखिये रक्त चरित्र पार्ट -२ जो १९ november को रिलीज होगी ।
फिल्म में अगर अभिनय की बात करे तब विवेक ओबरी की पीठ थपथपाई जा सकती है ,विवेक के अतिरिक्त अभिमन्यु सिंह (फिल्म में भुक्का रेड्डी )का भी अभिनय काबिले तारीफ है । फिल्म का कैमरा वर्क अच्छा और विविधता लिए है जो पूरी तरह से दक्षिण भारतीय फिल्मो की तरह उपयोग किया गया है ,संपादन ठीक ठाक है ,संगीत पर कोई टिपण्णी न की जाये तो ही बेहतर है। आखिर में कहा जा सकता है की सत्या ,कंपनी जेसी फिल्म देने वाले रामगोपाल वर्मा से लगाईं उम्मीद रक्त -चरित में पूरी नहीं होती दिखाई देती।
अब देखना यह है की पहले से घोषित रक्त-चरित पार्ट २ कितनी पब्लिक जुटा पाती है। क्योकि दूध का जला छाछ भी फूंक- फूंक कर पीता है ।
नाम बड़े और दर्शन छोटे"
पिछले हफ्ते की दो बड़ी फिल्मो को देख कर बस भगवान् दादा का यह गाना ही याद आता है। पिछले हफ्ते रिलीज हुई आक्रोश अच्छी पटकथा होने के बावजूद कमजोर निर्देशन की भेट चढ़ गयी वही इस हफ्ते रीलिज रक्त-चरित्र का हाल भी कुछ एसा ही है या फिर यु कहे की इससे भी बदतर है ।
रक्त -चरित्र में चरित्र नहीं है सिर्फ रक्त ही रक्त है पूरी फिल्म में दिखाई देता है सिर्फ खून ,खून , और खून । पटकथा के नाम पर दो परिवारों की लड़ाई है जो बाद में जातिगत लड़ाई बन जाती है । और पूरी फिल्म में बस मारा मारी होती रहती है । फिल्म देख कर एसा लगता है की मानो ये कोई वृतचित्र( documentry) है जो यह जानकारी देती है की इंसान को कितने तरीको से मारा(क़त्ल किया) जा सकता है ।
फिल्म की शुरवात होती है आनंदपुर गाव की भूमिका से जिसमे वह फैली गुंडागर्दी को background voice के साथबताया जाता है की यह फिल्म सत्य घटना पर आधारित है परन्तु फिल्म में दिखाए गए द्रश्यो से आतिरेक की गंध आती है ।
फिल्म में प्रताप रवि (विवेक ओबेरॉय ) एक पिछड़ी जाती का पड़ा लिखा और समझदार नौजवान है जिसके पिता को राजनेतिक हथकंडो के तहत मार दिया जाता है जिसका बदला प्रताप रवि लेता है फिल्म में शत्रुघ्न सिन्हा एक नेता- अभिनेता के शिवा जी के रोल में है जिसकी एक राजनेतिक पार्टी है आगे जाकर वह प्रताप रवि को raajniti में लाने के लिए प्रस्त्भूमि बनाता है । फिल्म के अंत में प्रताप रवि का वर्चस्व बाद जाता है और फिल्म क्रमश : पर ख़त्म हो जाती है फिर दर्शको से आग्रह किया जाता है की आगे क्या होगा यह जानने के लिए देखिये रक्त चरित्र पार्ट -२ जो १९ november को रिलीज होगी ।
फिल्म में अगर अभिनय की बात करे तब विवेक ओबरी की पीठ थपथपाई जा सकती है ,विवेक के अतिरिक्त अभिमन्यु सिंह (फिल्म में भुक्का रेड्डी )का भी अभिनय काबिले तारीफ है । फिल्म का कैमरा वर्क अच्छा और विविधता लिए है जो पूरी तरह से दक्षिण भारतीय फिल्मो की तरह उपयोग किया गया है ,संपादन ठीक ठाक है ,संगीत पर कोई टिपण्णी न की जाये तो ही बेहतर है। आखिर में कहा जा सकता है की सत्या ,कंपनी जेसी फिल्म देने वाले रामगोपाल वर्मा से लगाईं उम्मीद रक्त -चरित में पूरी नहीं होती दिखाई देती।
अब देखना यह है की पहले से घोषित रक्त-चरित पार्ट २ कितनी पब्लिक जुटा पाती है। क्योकि दूध का जला छाछ भी फूंक- फूंक कर पीता है ।
good review lakulish bhai......
ReplyDeletekeep it up...
tamraker sir k baad tumhara hi no. hai... sjmc mein.