Tuesday, April 24, 2012

अच्छी कॉमेडी का स्पम - विकी डोनर

"ये दुनिया एक स्पम है"  ये ख्याल किसी दार्शनिक व्यक्ति या किसी बाबा के प्रवचन की प्रसिद्ध अभिव्यक्ति नहीं है ,ये जुमला है  फिल्म विकी डोनर का  । निर्देशक शुजित सरकार और निर्माता जान अब्राहम के मिलन से बनी यह फिल्म एक हलकी फुलकी कामेडी के साथ बड़े ही संवेदनशील मुद्दे को दर्शको के सामने रखती है ।

फिल्म कहानी है विकी खुराना (आयुष्मान सिंह ) नाम के दिल्ली के एक लड़के की जो की वेल्ला ( बेरोजगार ) है और कोई अच्छी सी नोकरी करना चाहता है ।डा. चडड़ा(अन्नू कपूर)  एक फर्टिलिटी क्लिनिक चलाते हैं  और बेऔलाद जोड़ो का इलाज़ करते हैं । एक दिन डा. चडडा (अन्नू कपूर ) की नज़र विकी पर पड़ती है और उन्हें  विकी के रूप में एक अच्छा स्पम डोनर दिखाई देता है,  वह विक्की को साम और दाम के तरीके से स्पम डोनेट करने के लिए तैयार कर लेंते  है। यही डोनेशन आगे जा  कर विकी की व्यक्तिगत जिंदगी में दुःख का कारण बन जाता है । खुद को आधुनिक कहने वाले समाज के इस मुद्दे पर कई रूप नज़र आने लगते है और इन्ही उलझनों को सुलझाती हुई फिल्म अपनी हाइप पर जा कर ख़त्म हो जाती है ।

अभिनय के तराजू पर फिल्म का हर किरदार बराबर खरा साबित हुआ है ।मुख्य किरदार के रूप में आयुष्मान ने अच्छा काम किया है उसके लहजे,हाव -भाव ,तौर-तरीके पूरी तरह से विकी के केरेक्टर में फिट बैठे है । यामी गौतम (फिल्म में आशिमा रॉय ) की खूबसूरती तो कमाल लगी ही है साथ ही उसका अभिनय भी खुबसूरत बन पड़ा है ।अन्नू कपूर तो अभिनेता हैं ही उनके लिए और किसी शब्द की जरुरत नहीं  हां यह कहना लाज़मी होगा की उनकी दो उंगलियों के इशारे और मुहावरों के साथ उनका ठेठ पंजाबी अंदाज लम्बे समय तक दिमाग  में दर्ज रहेगा ।दादी के रोल में कमलेश गिल और माँ के रूप में डोली अल्हुवालिया ने पूरी तरह से न्याय किया है ।

फिल्म का निर्देशन जानदार है ,निर्देशक शुजित सरकार ने कोई लटका -झटका फिल्म में नहीं रखा है, सिंपल शाट और सीन से फिल्म की कहानी  को प्रदर्शित किया है ।फिल्म के डायलाग सिंपल और ह्यूमर से भरपूर है हर किरदार के डायलाग उसके केरेक्टर को दर्शाते है जेसे डा. चडडा (अन्नू कपूर) का हमेशा स्पम के मुहावरों में बात करना या माँ के किरदार में डोली का पंजाबी लफ्जों में अपने बेटे को कोसना । फिल्म की खासियत इसके साधारण पर सशक्त प्रस्तुतिकरण में है ।गीत संगीत के लहजे से पानी डा रंग और रम - विस्की अच्छे नंबर बन पड़े है।गीत के बोल ठीक- ठाक है पानी दा रंग को छोड़ कर किसी भी गीत के बोल ने बहुत प्रभावित नहीं किया है  ।सिनेमेटोग्राफी और एडिटिंग में कहने के लिए ज्यादा कुछ खास नहीं है ।

विकी डोनर एक आधुनिक विषय का प्रस्तुतिकरण है ,फिल्म की नज़र से पूरी तरह से मनोरंजक और विषय की नज़र से कुछ नया । फिल्म इंटरवल तक तो सुपरफास्ट ट्रेन की तरह भागती है पर उसके बाद थोड़ी धीमी हो जाती है , फिर भी यह धीमी गति फिल्म में बोर नहीं करती । इस फिल्म के लिए आखिर में इतना ही कहना काफी होगा की कॉमेडी के लिए फूहड़ता और बड़ी स्टार कास्ट की जरुरत नहीं होती बल्कि जरुरत होती है एक अच्छी स्क्रिप्ट और उसके अच्छे  निर्देशन  की जिसमे लेखिका जूही चतुर्वेदी और निर्देशक शुजित सरकार सफल हुए है।

 

2 comments:

  1. Sampurn aur gahara vishleshan,nape tule shabdo ke saath acchhi tarah se kiya hai.gud.keep it up:)

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